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इस शिखर सम्मेलन में चर्चा के लिए प्रमुख मुद्दों में जलवायु पर उचित हिस्सेदारी, जलवायु महत्त्वाकांक्षा, जलवायु वित्त, हानि और क्षति के प्रभाव और कार्बन बाजार जैसे विषय शामिल होंगे.
यह पता चला है कि, भारत अगले महीने ग्लासगो में होने वाले COP26 सम्मेलन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर अपने रुख को 27 अक्टूबर को होने वाली अपनी अगली कैबिनेट बैठक में अंतिम रूप देगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस शिखर सम्मेलन में भारत का मुख्य फोकस विकसित देशों से विकासशील देशों में प्रौद्योगिकी और जलवायु वित्त के हस्तांतरण के इर्द-गिर्द घूमता रहेगा.
इस शिखर सम्मेलन में चर्चा के लिए प्रमुख मुद्दों में जलवायु पर उचित हिस्सेदारी, जलवायु महत्त्वाकांक्षा, जलवायु वित्त, हानि और क्षति के प्रभाव और कार्बन बाजार जैसे विषय शामिल होंगे.
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान और क्षति पर भारत का रुख यह होगा कि, विकासशील देशों, विशेष रूप से द्वीप-राष्ट्रों में, हुई पर्यावरणीय क्षति और परिणामी आपदाओं में विकसित देशों का बड़ा योगदान है.
पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा कि, “तापमान में वृद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि हुई है, और विकासशील देश इसका सबसे अधिक प्रभाव महसूस कर रहे हैं.” “हम प्रदूषक-भुगतान सिद्धांत में विश्वास करते हैं, और COP26 में हमारा यही रुख होगा कि, विकसित देश, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से अधिकांश उत्सर्जन में योगदान दिया है, जिसके कारण तापमान वृद्धि और जलवायु परिवर्तन हुआ है, क्षतिपूर्ति तंत्र स्थापित करके विकासशील देशों को वित्तीय रूप से सहायता करने की जिम्मेदारी लेते हैं.”
उक्त अधिकारी ने यह भी कहा कि, भारत विकसित देशों से 100 अरब डॉलर से अधिक की वार्षिक जलवायु वित्त प्रतिबद्धता के लिए जोरदार आग्रह करेगा.
इस 15 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, बिजली, पृथ्वी विज्ञान, कृषि और वित्त मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ एक अंतर-मंत्रालयी दल शामिल होगा.
इस टीम का नेतृत्व पर्यावरण मंत्रालय में मुख्य वार्ताकार और अतिरिक्त सचिव (जलवायु परिवर्तन) ऋचा शर्मा करेंगी. पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और अश्विनी चौबे और सचिव आरपी गुप्ता भी इस शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे.
भारत का वार्षिक प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन 1.96 टन प्रति व्यक्ति है, जबकि चीन का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 8.4 टन है. दुनिया के अन्य बड़े उत्सर्जकों में अमेरिका (प्रति व्यक्ति 18.6 टन) और यूरोपीय संघ (7.16 टन प्रति व्यक्ति) शामिल हैं. इसी तरह, दुनिया का औसत 6.64 टन प्रति व्यक्ति है.
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